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Saturday, May 19, 2012


पहला दिन 
कबीर जैसा महान विचारक संसार में कोई नहीं
प्रदेश सरकार विकास के साथ संस्कृति को बचाने का कार्य कर रही है 
सागर /मुख्यमंत्री  शिवराजसिंह चैहान द्वारा की गई घोषणा के अनुरूप  सागर में सदगुरू कबीर महाकुंभ का त्रिदिवसीय महोत्सव का शुभारंभ हुआ। जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये कबीर पंथ के साधु संतो ने सदगुरू विचारों पर आधारित विचार रखे । इस कुंभ महोत्सव का शुभारंभ पंचायत एवं ग्रामीण विकास और सामाजिक न्याय मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने अन्य अतिथियों के साथ कबीर आकृति के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया । सांसद श्री भूपेन्द्रसिंह, विधायक श्री शैलेन्द्र जैन, राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री नारायण कबीर पंथी, म.प्र.महिला वित्त एवं विकास निगम की अध्यक्ष श्रीमती सुधा जैन, महापौर श्रीमती अनीता अहिरवार सहित अनेक जनप्रतिनिधियों और संतो की उपस्थिति में महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर पंचायत मंत्री श्री भार्गव ने कबीर पंथ के संतजनों का सम्मान किया । समारोह में कबीर पंथ के संतजनों-अनुयायियों ने सदगुरू कबीर की आरती से अपने शुभ आयोजन की शुरूआत की । सदगुरू कबीर महाकुंभ के शुभारंभ अवसर पर पंचायत मंत्री श्री भार्गव ने कहा कि जिस तरह प्रकाश के क्षेत्र में सूर्य सर्वश्रेष्ठ है उसी तरह विचारों की श्रंृखला में कबीर जैसा महान विचारक संसार में नहीं है । उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सदियों से आक्रमणकारियों द्वारा आक्रमण कर, शासन व शक्ति के बल पर संस्कृति को नष्ट करने का काम हो रहा था । इसी दौर में संत कबीर जैसे विचारक का प्राकृयटीकरण हुआ । उनके विचार आज के दौरे में भी ज्यादा प्रासंगिक है । जिन्होंने जाति धर्म, सीमाओं की बाध्यताओं से परे समाज कल्याण, समानता व समरसता के साथ जीवन जीने विचार दिये है । श्री भार्गव ने कहा कि आज अनेक तरह के ढोगी व पांखडी, साधु संतो के वेश में विभिन्न चैनलो के माध्यम से समाज को गलत दिशा दे रहे है किन्तु कबीर के अनुयायी संत आज भी पूरे विश्व को समानता के सूत्र में पिरौने के विचार समाज को दे रहे है । कबीर के विचारों और बताये गये मार्गो पर चलने की शिक्षा देने के कार्य में लगे संत बन्दनीय व अनुकरणीय है । उन्होंने कहा प्रदेश सरकार विकास के साथ संस्कृति को बचान व संवारने के लिये भी काम कर रही है । इसी क्रम में वृद्धो को तीर्थ दर्शन योजना में धर्म क्षेत्रों में भेजने का कार्य किया जा रहा है । आपने कहा संस्कृति बचाने के लिये प्रदेश सरकार सहयोग करके थोड़ा बहुत अंश देती है किन्तु साधु संत इस कार्य को सम्पूर्णता प्रदान करते है ।समारोह में महंत रामजीवन शास्त्री ने कहा कि कबीर विचारों के अनुसार सभी इंसान एक ही परमात्मा की संताने है कोई मुस्लिम, हिन्दु, या पारसी किसी भी जाति या धर्म के साथ पैदा नहीं होता है । सदगुरू ने संत, अहिसा, एकता और सदभावना का पाठ पढाया है । उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता को समझा जाये तो सदगुरू का ज्ञान दर्शन ऐसा दर्शन है जो समाज और देश को धर्म व जाति से ना बांधकर विश्व बन्धुत्व को महत्व देता है । समारोह में लावणी सौराष्ठ से आये संत चरणदास बाबू ने कबीर के विचार भावन कल्याण के लिये समर्पित है । अल्लाह, राम, रहीम सब एक है । किसी भी धर्म का व्यक्ति कबीरपंथ को अपना सकता है । कबीरपुर में मझार एवं कबीरपादुका साथ-साथ स्थित है । सदगुरू के विचार कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर पक्ति से ही प्रकट होता है जो दुनिया के हर व्यक्ति का कल्याण चाहते है । पूर्व में आयोजन के संयोजक और राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री नारायण प्रसाद कबीरपंथी ने स्वागत भाषण दिया और परकोटा सागर में 300 वर्ष पूर्व से स्थापित कबीर आश्रम का इतिहास बताया जिसे महारानी लक्ष्मीबाई ने संत मोतीदास साहब को दान में दिया था अब 1995 से संत रामजीवन शास्त्री इसे और विकसित कर रहे है। उन्होंने महंत के द्वारा अर्जित 1800 वर्ग फुट जमीन पर भवन निर्माण के लिये शासन से सहयोग दिलाने की अपेक्षा की । महोत्सव में छत्तीसगढ की कु.आरती ने स्वागत भजन प्रस्तुत किया और अंत में विधायक श्री शैलेन्द्र जैन ने संतों की महिमा का बखान कर, मुख्य अतिथि श्री भार्गव और सभी शामिलजनों के प्रति आभार व्यक्त किया । महोत्सव अवसर पर उज्जैन, चित्रकूट, छत्तीसगढ,लावणी सौराष्ठ, हरिद्वार आदि देश के विभिन्न स्थानों से आये संतजन और कबीरपंथ के अनुयायी बडी संख्या में उपस्थित थे ।
दूसरा दिन 
                                        संतो के बताये गये मार्ग पर 
चलकर जीवन को कल्याणमयी बनाये
सागर /प्रदेश के अनुसूचित जाति कल्याण राज्यमंत्री श्री हरीशंकर खटीक ने आज सागर में चल रहे सदगुरू कबीर महाकुंभ महोत्सव के दूसरे दिवस के कार्यक्रम में भाग लिया । सागर के नगर निगम स्टेडियम में त्रिदिवसीय सदगुरू कबीर महाकुंभ महोत्सव के दूसरे दिन मुख्य अतिथि राज्यमंत्री श्री हरीशंकर खटीक ने कहा कि सागर नगर का सौभाग्य है कि यहां सदगुरू कबीर पंथ के संतो और विद्वानों ने महाकुंभ में उपस्थित होकर लोगों के कबीर के विचार पर आधारित ज्ञान और मार्गदर्शन दिया है । यदि महाकुंभ में शामिल लोग बताये गये मार्ग पर चलेगे तो सभी का जीवन कल्याणमयी हो जायेगा । उन्होंने कहा कि कबीर ऐसे विचारक और ज्ञानी थे जिनके मन से जो विचार निकले उसी भाषा की अलग व्याकरण बनी । आपने कबीर के दोहे पौथी पढ पढ जग मुआ, हुआ ना पण्डित कोय, दो आखर प्रेम के पढे सो पंडित होय को अपने जीवन चरित्र में उतारकर पूरे समाज और विश्व में प्रेम भावना का संचार करने की आवश्यकता व्यक्त की । राज्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार मध्यप्रदेश में संगीत,कला, साहित्य, आध्यात्म और शौर्य आदि विधाओं के क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों के आदर्श और नाम को याद करने के लिये विभिन्न आयोजन कर रही है । इसी क्रम में महू में बाबा अम्बेडकर कुंभ, उज्जैन कुंभ, सागर में रविदास कुंभ और अब कबीर कुंभ आयोजित कर रही है । सागर का सदगुरू कबीर कुंभ आगे और भव्य रूप में आयोजित हो इसके लिये प्रदेश सरकार भरपूर सहयोग देगी । इस महाकुंभ की गंूज इतनी फैलनी चाहिये कि कबीर प्राकटय के उत्तरप्रदेश के साथ समूचे राष्ट्र में पता लगना चाहिये कि सागर में कबीर कुंभ होने लगा और पूरे देश से लोग इस कुभ में भाग लें तथा कबीर के विचारों को जानकर उन्हें आत्मसात करे और मानव कल्याण व विश्व शांति के लिये प्रयास करे।
भौतिक विकास के साथ नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास जरूरी
कबीर महाकुंभ में महन्त श्री रामजीवन शास्त्री ने कहा कि सरकार को भौतिक विकास के उत्तरदायित्वों के साथ जनता के नैतिक व आध्यात्मिक विकास की दिशा में भी प्रयास करना चाहिये तभी समाज में शांति सद्भाव और प्रेम का वातावरण बनेगा । आपने कहा कि धर्म के मर्ग को समझना है तो कबीर दर्शन सम्पूर्ण है । कबीर भाषा के पीछे नहीं, भाषा कबीर के पीछे चली है । कबीर ने हिन्दी साहित्य को विस्तार दिया है । उन्होंने व्यक्त किया कि भक्ति करे शूरमा जाति वर्न सब खोय वही सच्चा कबीर भक्त है । संत चरणदास बाबू ने कहा कि जिस देह में काम व क्रोध दो राजा रहते है उस देह की सलामती नहीं । परमात्मा की कृपा से मानव शरीर मिला है तो काम, क्रोध व लालच को मारकर शूरवीर बने फिर भक्ति करें तभी सतधाम पहंचा जा सकता है । आपने सत्य के नाम की विस्तृत व्यवस्था कर लोगो को सदगुरू कबीर के बताये गये मार्ग पर चलने की सीख दी । समारोह में अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष श्री नारायण कबीर पंथी ने कहा कि कबीर ने स्वयं को दास कहा है वे दास नहीं समाज के मार्गदर्शक थे इसलिये उन्हें सदगुरू संबोधित किया जाना चाहिये । आपने बताया कि 20 मई को मुख्यमंत्री आयेंगे  तब उनसे कबीर जयंती का ऐच्छिक अवकाश को सामान्य अवकाश घोषित कराने की मांग करेगे । महोत्सव का संचालन संत सुरेश्वर, श्री एम.डी.त्रिपाठी व संत अर्जुन दास ने किया और अंत में आभार प्रदर्शन पूर्व विधायक श्री धरमू राय ने किया । समारोह में विभिन्न क्षेत्रों से आये भजन गायकों ने भजन प्रस्तुत किये । इस अवसर पर भूमि विकास बैंक अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र केसरवानी व अन्य जनप्रतिनिधि, देश के विभिन्न क्षेत्रो से आयेे कबीर पंथ के संतगण और कबीर पंथ के अनुयायी उपस्थित थे । सागर। एडीना कॉलेज प्रबंधन पर एक छात्र ने कागजात मांगने के नाम पर ७५ हजार की अवैध राशि मागने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि पूर्व छात्र अर्जुन राजपूत ने कलेक्टर के माध्यम से आयुक्त उच्च शिक्षा और राजीवगांधी प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति से शिकायत की है। छात्र ने वर्ष २०१०-११ में बीई प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लिया था। फीस के रूप में २५ हजार कॉलेज को दिए थे। फिर अगले सत्र की वह पढ़ाई नहीं कर सका। लेकिन जब सैनिक ार्ती के लिए कक्षा १०वीं, १२वीं की अंक सूची मंगी तो प्रबंधन इसके बदले में ७५ हजार रूपए की मांग की। इसलिए वह सैनिक ार्ती में चयनित होने से वंचित रह गया। अतरू छात्र ने कॉलेज प्रबंधन पर कार्रवाई करने की मांग की है। सागर।  टीबी अस्पताल की दो मंजिल इमारत में अंदरुनी साज-सज्जा का पूरा काम बचा है। लाइट की फिटिंग का काम ाी अ ाी पूरा बाकी है। ावन का निर्माण कर रहे ठेकेदार नायर स्वयं स्वीकार करते हैं कि यह काम किसी ाी तरह ३० जून तक पूरा नहीं किया जा सकता। ाीषण आर्थिक संकट के चलते बार-बार अटक रहे टीबी अस्पताल का काम एक बार फिर तय समय ३० जून तक पूरा होता नहीं दि ााई देता। पहले इसे सित बर माह में पूरा किया जाना था। बुंदेल ांड चिकित्सा महाविद्यालय के अस्तिव में आने से पूर्व टीबी हॉस्पिटल तिली वार्ड में संचालित होता था। चिकित्सा महाविद्यालय बनाने के लिए टीबी हॉस्पिटल ावन को गिरा दिया गया। इसके बाद जिला चिकित्सालय के पीछे नया टीबी अस्पताल बनाए जाने की योजना बनी। सन २००८ में इसके टेंडर डाले गए। टीबी अस्पताल ावन के निर्माण की जि मेदारी मिली नायर कंस्ट्रक्शन को। जिसे सित बर २०११ में २ करोड़ रूपए की लागत से टीबी अस्पताल की बिल्डिंग तैयार करनी थी।  ाीषण आर्थिक संकटों के बीच आरं ा हुआ काम अनेक बार रुक गया। सित बर में यह निर्माण पूरा करने का लक्ष्य र ाा गया था, किन्तु ाीषण आर्थिक संकट ने लक्ष्य को अ ाी  बढ़ा दिया। स्वास्थ्य वि ााग द्वारा समय पर धन  नहीं उपलब्ध कराए जाने के कारण यह योजना पूरी नहीं की जा सकी। पीडब्ल्यू डी के कार्यपालन अ िायंत्रा एच के राजपूत ने बताया कि गत मार्च माह में टीबी अस्पताल ावन का निर्माण कर रही नायर कंस्ट्रक्शन को पिछला बकाया चुका दिया गया है। अब उसके केवल डेढ़ ला ा रूपए ही देना बाकी रह गए हैं। मार्च तक मंथर गति से चल रहे निर्माण कार्य में आगे के दिनों में थोड़ी गति तो पकड़ी लेकिन इस दौरान मजदूरी और निर्माण सामग्री के मूल्य में वृद्घि ने काम की गति नहीं बढऩे दी। इसका नतीजा यह निकला कि टीबी अस्पताल ावन में अ ाी ाी काफी काम बाकी बचा है।
ट्रेफिक पुलिस का पैगाम हम नहीं सुधरेंगे
मनोज शुक्ला 
सागर। शहर की ट्रेफिक व्यवस्था हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर चल रही है। जबकि डीआईजी जे.पी.अहिरवार ने दो बार तीनबत्ती क्षेत्र आकर व्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी उपस्थिति में अवैध पार्किंग स्थलों से ेवाहन हटवायें। साथ ही यातायात पुलिस को व्यवस्था सुधारने निर्देश दिए। लेकिन जिन क्षेत्रों से उन्होंने व्यवस्था सुधरवाई थी अब ाी उन स्थानों पर  वाहनों की पार्किंग यथावत हो रही है। गौरतलब है कि यातायात पुलिस शहर में अत्याधिक निष्क्रिय है वह केवल छोटे-मोटे वाहनों के चालान बनाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते है। जबकि बहुत सारे मामले हैं जिनकी ओर से यातायात अमला बे ाबर बैठा है। नियमों के अनुसार वाहन चलाते समय कपड़े से मुंह ढांकना आपत्तिजनक है फिर ाी अमले ने इन मामलों पर सं ावतया कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि ऐसे नकाबपोश बनकर वाहन चलाने से दुर्घटना आदि परिस्थितियों में वाहन चालक की  पहचान नहीं हो पाती है। जिससे वे अवैध कार्यों को अंजाम देकर निकल जाते हैं।  यातायात पुलिस इस मामले में ोद ााव ाी बरत रही है। जहां पुरूषों पर क ाी क ाार कार्रवाई का नाटक करती है दूसरी तरफ महिलाओं को सद ाावना पूर्वक छोड़ देती है। इसी प्रकार मोटर व्हीकल अधिनियम के मुताबिक वाहनों के शीशों पर किसी ाी प्रकार की फिल्म इत्यादि नहीं चढ़ी होनी चाहिए।  फिर ाी शहर में ऐसे अनेक वाहन घूमते रहते हैं लेकिन यातायात अमला इनकी अनदे ाी कर रहा है। जिससे काले शीशों के पीछे इन वाहनों में अनैतिक कार्यों को बढ़ावा मिल रहा है। चूंकि ऐसे चार पहिया वाहन अमीरजादों के होते हैं या प्र ाावशाली व्यक्तियों के वाहन होने की वजह से अमला कार्रवाई करने से डरता है। पुलिस, पे्रस, लि ाकर ाी वाहनों को चलाने की यातायात पुलिस ने छूट देकर र ाी है। जबकि दे ाा जाए तो ऐसे वाहनों में से अधिकांश वाहन न तो पुलिस के होते हैं और ना ही प्रेस से संबंध र ाते हैं, लेकिन इन शब्दों की वजह से लोगों को समय वे समय बचकर निकलने का अवसर मिल जाता है। इसलिए इन का बेरोकटोक प्रयोग किया जा रहा है। यही नहीं आज कल तो आर्मी लि ाकर ाी स्कूटी जैसे वाहन चलाए जा रहे हैं। जबकि ये वाहन निश्चित रूप से आर्मी के नहीं है। फिर ाी यातायात पुलिस की लापरवाही ने ऐसे प्रयोगों को बढ़ा दिया है। ाासतौर से युवा वर्ग वाहनों को बेतहाशा स्पीड से वाहन चला रहे हैं साथ ही वनवे का ाी पालन नहीं करते हैं जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है। इसको ाी रोकने की दिशा में प्रयास नहीं हो रहे हैं। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करना ाी प्रतिबंधित है, इस वजह से ाी दुर्घटना हो सकती है इसलिए इस प्रावधान को लागू किया है साथ ही यातायात पुलिस को नियम का उल्लंघन करने पर चालान करने का अधिकार है। दे ाा जा रहा है कि वे इस प्रावधान को लागू कराने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं। इसके अलावा नगर यातायात के साधनों में मु य रूप से चैपिंयन वाहन चल रहे हैं जो तीनबत्ती, मस्जिद, नमकमंडी क्षेत्र में ाारी अव्यवस्थाएं फैलाते हैं मस्जिद के पीछे ये लोग अपने वाहन बीच सड़क पर ाड़े कर देते है। इसी प्रकार नमक मंडी में कीर्ति स्तं ा के पास अस्त व्यस्त वाहन ाड़े करते है जिससे आवागमन में ाारी परेशानी होती है।
यातायात अमला ही फैलाए है अव्यवस्थाएं
सागर। शहर की यातायात व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। यही नहीं यातायात अमला ही अव्यवस्थाएं फैलाने में लगा है। फलस्वरूप तीनबत्ती से लेकर गुजराती बाजार के बीच में थाने की गाड़ी ही बीच सड़क पर ाड़ी कर दी जाती है। यही कारण रहा कि शुक्रवार की शाम को एक युवक वाहन टकराने से एक्सीडेंट का शिकार हो गया। हालांकि यातायात अमला मौजूद था। लेकिन निगम मार्केट से पहले हुए हादसे को वे टाल नहीं सके। इसके अलावा सुचारू यातायात में बाधक बनकर थाना प्र ाारी स्वयं सड़क के बीच से ाड़े रहते हैं। जिससे डिवाइड सड़क के एक ओर वाहन और दूसरी ओर वे स्वयं आवागमन में परेशानी पैदा करते हैं।
नियमों से हैंअनभिज्ञ 
हालांकि डीआईजी ने पिछले दिनों तीनबत्ती पर आकर यातायात सुधारने की कवायद की थी। अमले को फटकार लगाई थी। लेकिन उन्हें ाी यातायात व्यवस्था के नाम पर फैली अव्यवस्थाएं नहीं दि ाीं। इसलिए पैदल चलने वालों के साथ ही वाहन चालकों की हादसे की आशंका बनी रहती हैं।
 अब सवाल यह है कि यातायात अमला यदि यातायात के नियमों को नहीं जानता है। तब व्यवस्था में सुधार होना तो हमेशा संदिग्ध रहेगा। जबकि हर वर्ष सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है। फिर ाी सागर में पदस्थ अमला नियमों से अन िाज्ञ है। साथ ही थाना प्र ाारी ाी अन िाज्ञ हैं। यह कहना था कि गलत नहीं होगा कि जब डीआईजी मौके पर थे, तब उन्होंने ाी यातायात नियमों के विपरीत की गई व्यवस्थाओं पर आपत्ति दर्ज नहीं कराई है।
रोक के बाद पार्किंग
तीनबत्ती पर कोर्ट के आदेश पर पार्किंग के लिए रोक लगी है। बाकायदा यहां बोर्ड लगा है। फिर ाी अमले को कोई चिंता नहीं है। यही नहीं दुकानदारों ने ाी सड़क तक अपनी दुकानें फैलाकर र ाी हैं। जबकि इन्हीं दुकानदारों को पूर्व में अनेक तरह की आपत्तियां थीं। इसके अलावा गौरमूर्ति और रोड डिवाइडर के बीच के निकास को बंद कर दिया है। जबकि इसे यातायात अमला बंद नहीं कर सकता है। इनके कारण अवैध रूप से करीब करीब आधी सड़क तक पार्किंग बन गई है। बड़ा बाजार जाने वाले मार्गों पर रोक लगी है। जिसे रोकने बीच में बैरीकेट्स र ा छोड़े हैं। इस प्रकार तीनबत्ती क्षेत्र में पूरा दृश्य यह है कि यातायात अमले ने नियम विरूद्घ बायीं ओर का मार्ग अवरूद्घ करके र ाा है। परकोटा तरफ से आने वाले वाहनों और कटरा की ओर से बड़े बाजार जाने वाले मार्गों के वाहनों को यातायात अमला चुपचाप दे ाता रहता है।
जिससे हादसे होने की सं ाावना बनी रहती है। तीनबत्ती से कटरा, मस्जिद से विजय टाकीज रोड, गुजराती बाजार सड़क के दोनों ओर वाहन सब्जी के ठेले, फल वाले आदि छोटे दुकानदार सड़कों पर डेरा जमाए हैं। थाना के चारों ओर दुकान लगी है। जिन्हें व्यवस्थित करने में रूचि नहीं ली जा रही है। यदि डीआईजी  ने इस पर गौर नहीं किया है। तब कौन आएगा जो यातायात थाना के अमले को नियम स मत कार्य करने प्रेरित करेगा। एसपी वैसे ाी शहर में रूचि नहीं ले रहे हैं। सीएसपी का ध्यान ाी यातायात पर विशेष रूप से नहीं है। आम जनता को तो बड़ा बाजार जाने के लिए प्रतिबंध है। लेकिन पुलिस के वाहन और नेताओं को कोई नियम नहीं है। व्यवस्था के नाम न ही वन-वे न ही नियम न ही कानून का पालन होता है। बस  जी  ारकर नेताजी की कृपा बटोरी जाती रहती है।
अतिरिक्त वेट वापस लेने गुहार
सागर। मप्र बीड़ी उद्योग संघ ने मु यमंत्री से तेंदुपत्ता ााड़े पर अतिरिक्त वेट वापस लेने गुहार लगाई थी। लेकिन आज तक उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया। जिससे व्यापारियों का असंतोष बढ़ रहा है। इसी प्रकार ट्रक ट्रासंपोर्ट मालिक एसोसिएशन ने प्र ाारी मंत्री राघवजी से मिलकर ट्रक ढुलाई ााड़े पर वेट का विरोध दर्ज कराया है।  बीड़ी उद्योग संघ और ट्रक ट्रासपोर्ट एसोसिएशन को प ाारी मंत्री ने  कोई आश्वासन नहीं दिया है। दोनों संगठनों ने टैक्स वापस नहीं लेने की स्थिति में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि वेट अधिनियम में संशोधन करके नई धारा ९-ग (९-सी) जोड़ी गई। जिसके कारण बीड़ी उद्योग पर संकट गहराया है। इस नई धारा के अनुसार सड़क मार्ग से तेदुंपत्ता का परिवहन किया जाएगा तो ााड़े पर अतिरिक्त २५ प्रतिशत कर देना होगा। संघ अध्यक्ष डॉ. श्रीमती मीना पिंपलापुरे, उपाध्यक्ष डॉ. जीवन लाल जैन, कोषाध्यक्ष अरविंद ााई पटैल, सु ानंदन जैन, विधायक शैलेन्द्र जैन, पूर्व विधायक सुनील जैन, अनूप जैन, स्वेदेश जैन, अनिरूद्घ पिंपलापुरे, देवी प्रसाद  दुबे, रामवतार पांडेय, वीरेन्द्र जैन, महेन्द्र ााई,सुमन ााई पटेल आदि ने प्र ाारी मंत्री राघवजी को अपनी कठिनाईयों की जानकारी दी। साथ ही इसे वापस लेने की मांग की है। संघ की राय है कि ााड़ेश् पर कर के ाुगतान की जि मेदारी परिवहनकर्ता की है। लेकिन बीड़ी निर्माताओं पर कर का बोझ बढेगा। जिससे निर्माण की लागत बढ़ेगी और उद्योग प्र ाावित होगा। दूसरी ओर परिवहनकर्ता से १२.३६ प्रतिशत टेक्स लिया जा रहा है। बीड़ी निर्माताओं और डीलरों से ाी २५ प्रतिशत तेंदुपत्ता क्रय पर अतिरिक्त  टेक्स वसूला जाएगा। इस प्रकार वेट में संशोधन से व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ रही है। कर के ऊपर कर लगाने से उद्योग को सरकार संकट में फंसा रही है।
ढुलाई कर देंगे बंद
 ट्रक टांसपोर्ट मालिक एसोसिशएन ने प्र ाारी मंत्री से कहा है कि यदि ढुलाई पर टेक्स वापस नहीं लिया तब वे उन वस्तुओं की ढुलाई बंद कर देंगे। जिन पर कर लगाया है। अध्यक्ष नरेन्द्र पाल सिंह के अनुसार ट्रकों से ढुलने वाले तेंदुपत्ता सीमेंट किलिंकर पर प्रदेश सरकार ने वेट लगाया है। जबकि ाारत सरकार सहित अन्य प्रांतों में यह टैक्स लागू नहीं है। एसोसिएशन का तर्क है कि ढुलाई में किसी प्रकार की ारीद ब्रिकी नहीं होती है। यह तो ट्रांसपोर्टर्स की मजदूरी है इसलिए टैक्स लगाना उन्होंने अनुचित ठहराया है। इसके अलावा ट्रक वाले पहले से ही डीजल, आयल, मोटर पाट्र्स, टायर, चेचिस ग्रीस, त्रिपाल आदि पर वेट दे रहे हैं। यही नहीं इसे देना ाी जटिल प्रक्रिया है। इसलिए वित्तमंत्री से इस कर को वापस लेने की मांग की है।
संशोधन पर प्रश्नचिन्ह
 जानकारों के अनुसार ााजपा सरकार व्यापारियों को वेट के नाम पर जबरन परेशान कर रही है। प्रदेश सरकार को मालूम है कि जल्द ही वेट के स्थान पर एक रूप नया कर प्रावधान जीएसटी लागू होगा। ऐसे में वेट को ाारत सरकार सहित स ाी प्रांत इस कर को हटा लेगी। इसलिए सरकार की मंशा है कि व्यापारियों के समूह को पहले नाराज कर दो फिर टैक्स वापस लेकर ाुश करके अपना बना लो। इसके अलावा यह कहा जा रहा है कि मूल अधिनियम वेट का मसौदा केन्द्र सरकार ने बनाकर सदनों में पारित किया था। राज्य सरकारों ने इसे लागू किया था। इसके बाद यदि जरूरी संशोधन करना हो तो प्रक्रिया यह है कि अधिनियम में मौजूद धारा की मूल ाावना का लोप नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि संशोधन ऐसा होगा जो निर्धारित धारा के समान अर्थ में ही परिवर्तन स्वीकार्य होगा। लेकिन ााजपा की सरकार ने तो मूल अधिनियम की धारा ९- ा के बाद नई धारा ९-ग(९-सी) जोड़ी है। जो किसी ाी प्रकार से मान्य नहीं हो सकती। व्यापारी वर्ग के मान मनौब्बत के नाम पर कर को वापस नहीं लिया जा रहा है।