विकसित हो रही हैं
अवैध कालोनियाँ
मनोज शुक्ला
सागर। शहरी क्षेत्र
सहित ग्रामीण इलाकों में भी अवैध कालोनियाँ विकसित हो रही हैं। लेकिन जिला प्रशासन
की अनदेखी की वजह से ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। फल्स्वरूप जमीन- जायदाद खरीदने वाले ठगे जा रहे हैं। हालांकि अवैध
कालोनाइजर्स के खिलाफ 7वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। फिर भी ऐसी विकसित प्रापर्टी की पटवारी से लेकर
एसडीएम तहसीलदार टी-पी और नगर
निगम तक लापरवाही बरत रहे हैं।
हाल ही में रजाखेड़ी निवासी कपिल दुबे और राजूराज ने कलेक्टर सहित महानिरीक्षक
पंजीयन को शिकायत भेजी है। इतना ही नहीं टाउन एंड प्लानिंग को जानकारी भेजी है। लेकिन कार्रवाई नहीं करना संरक्षण की ओर इशारा करती है। टाउन एंड प्लानिंग ने अभी तक केवल पूरे जिले में 9 भूमि विकास नियमों के तहत
अनुमतियाँ जारी की हैं। जबकि पूरे जिले में करीब-करीब
100 से अधिक कालोनियाँ विकसित हो रहीं हैं। इसके अलावा कालोनाइजर्स एक्त के तहत बमुश्किल 10 से अधिक लाइसेन्सधारी नहीं हैं। इस तरह
अवैध कालोनियों के जाल से सभी पक्ष अंजान बने बैठे हैं। इसका खामियाजा खरीददार भोग
रहे हैं। राजस्व विभाग के कर्मी तो अपना सुविधा शुल्क लेकर दूर हो जाते हैं। बाद
में ख़रीदारों को पग-पग पर पैसे लुटाना पड़ते हैं,तब कहीं जाकर प्रापर्टी बचा पते हैं।
इसी प्रकार प्रापर्टी के दलाल ख़रीदारों से मोटी रकम ऐंठकर प्रचलित गाइड
लाइन के अनुसार रजिस्ट्री करा देते हैं। जिससे लाखों की प्रापर्टी कोड़ियों के
दाम के रूप में हासिल होती है। एस नहीं है कि यह केवल ख़रीदारों के घाटे
का सौदा साबित होता है वरन स्टांप ड्यूटी की चोरी भी हो रही है।
जिसके प्रति उप-पंजीयक लापरवाही बरत रहे हैं। वे वेचवार से पूंछ लेते है कि पैसे
पूरे मिल गए लेकिन यह पूंछना भूल जाते है कि खरीदार ने कितनी रकम चुकाई है। दस्तावेज़ लेखक सहित बेचवार उल्टे-सीधे दाम वसूल लेते हैं। शिकायतों की सुनवाई नहीं होने से पावर ऑफ एटार्नी के सहारे
बेचवार बेजा लाभ कमा रहे है।
इसी प्रकार ऐग्रीमेंट और नामांतरण की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होती है। जबकि इनका भी पंजीयन करने का प्रावधान है। उप-पंजीयक ने ऐसे सवालों से किनारा कर लिया। दूसरी और टी-पी कर्मियों ने जानकारी के
बाद भी कार्रवाई करने में रुचि नहीं दिखाई। खासतौर से संजय ड्राइव से लेकर बालाजी तक,भोपाल रोड,राजमार्ग,तिली,आदि क्षेत्रों में जिला प्रशासन की नाक के नीचे यह सब हो रहा है। फिर भी वे बेखबर बने बैठे हैं।