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Wednesday, October 23, 2013

राष्ट्रीय संगोष्ठी:विकलांग शिक्षा - उपलब्धि एवं चुनौतियां


बहुत कम है प्रयास:डॉ. राय

सागर। विकलांग शिक्षा - उपलब्धि एवं चुनौतियां - जैसे मार्मिक विषय पर स्वामी विवेकानंद विवि में राष्ट्रीय सेमिनार सम्पन्न हुआ। डॉ. सुमित राय ने कहॉ कि  10 -12 वर्ष से इस क्षेत्र में जो भी प्रयास हो रहे है, वह बहुत कम है। इस क्षेत्र में और भी कार्य आवश्यक है। केवल स्वंयसेवी संगठन ही या सरकारी प्रोत्साहन छात्रवृति, योजना ही पर्याप्त नहीं। इस षिक्षा की महती आवश्यकता पर बल देते हुए कुलपति डॉ. अनिल तिवारी ने कहा कि, शिक्षा  के लिए आवश्यक है इस और कालेज विशेष शिक्षा  के शिक्षक  ही नहीं विद्यालय भी विशेष शिक्षा  के शिक्षक होने आवष्यक हैं। डॉ. अजय तिवारी  ने कहा इस विकलांग षिक्षा जैसे विषय क्रियान्वयन के लिए वही व्यक्ति कर सकता है जिसे देवत्व प्राप्त हो, यह बहुत ही मार्मिक और समर्पण का विषय है। डॉ. सी.डी. आठ्य, डॉ. रंगासई ने भी संबोधित किया।   सेमीनार में  डॉ. सी.डी. आठ्या अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग, डॉ. रंगासई राष्ट्रीय संस्थान बम्बई, डॉ. गणेश  जोशी क्षेत्रीय निर्देशक सी.आर. सी. भोपाल, विशिष्ट  अतिथि पुलिस अधीक्षक सी.वी.आई  सलीम खान ., डॉ. संजीव श्रीवास्तव के साथ डॉ. अजय तिवारी कुलाधिपति एवं डॉ. अनिल तिवारी कुलपति स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय मंच पर उपस्थित रहे। डॉ. वी.पी. तिवारी संयोजक संगोष्ठी, सह-सयोजक डॉ. आर. के. नगाइच एवं  अभिषेक तिवारी के संयोजकत्व में तथा डॉ. मनीष मिश्रा, डॉ. राजेष दुबे, डॉ. पंकज चतुर्वेदी, दीपक कोरीअषीष नामदेव सभी विभागाध्यक्ष के परार्मष से संगोष्ठी का आयोजन सफल रहा। डॉ. प्रमेष गौतम ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन अषुतोष शर्मा एवं सुश्री दिव्या सोनी के द्वारा किया गया।
एसवीएन ने कबड्डी प्रतियोगिता जीती

सागर। ऐडीना कॉलेज के तत्वाधान में नोडल स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें सभी इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी कॉलेजों ने भाग लिया। जिसमें एसवीएन . ने फाइनल मैच में एस.व्ही.एन.आई.टी. की टीम ने बी.टी.आई.आर.टी. के खिलाडिय़ों को मात देते हुए मध्यान्तर तक जहॉ 25.12 की शानदार बढ़त बनाई वही मैच के दूसरे हाफ में बी.टी.आई.आर.टी. के खिलाडिय़ों की कमर ही तोड़ दी, और यह मुकाबला 55.25 के भारी अंतर से जीतते हुए अपने खिताब की रक्षा की एवं खेलों में अपनी योग्यता बरकरार रखी। सेमीफाइनल मैच में ऐडीना कॉलेज को हराते हुए फानइल में प्रवेष किया। फाइनल मैच के मुख्य अतिथि ऐडीना कॉलेज के चेयरमेन डॉ. राजेश जैन ने  विजेता टीम को  ट्राफी सौपी। इस शानदार जीत पर संस्था के चेयरमेन डॉ. अजय तिवारी व डॉ. अनिल तिवारी ने खिलाडिय़ों को बधाई दी।

विधान सभा चुनाव:2013



 भाजपा ने प्रचार में मारा मैदान


 
भाजपा की कलह से बदलेंगे
 कांग्रेस की जीत के  समीकरण
मनोज शुक्ला

सागर। कांग्रेस अभी तक केवल अपनी गुटबाजी को बढ़ावा देने में लगी है। जबकि भाजपा इसी बीच घर-घर भाजपा का संदेश देती फिर रही है। साथ ही वह नव मतदाता  जैसे सम्मेलनों के द्वारा भी सक्रिय बनी है,जिससे स्पष्ट है कि टिकट वितरण नहीं होने के बाद भी सागर से  भाजपा को तीसरी पारी खिलाने तैयारी शुरू कर दी है। फिर भी नई परिस्थितियों ने  कांग्रेस में सीटें बढ्ने की उम्मीदे  हिलोरे ले रही हैं। साथ ही बिना बात के आधी जंग जीत ली है,कांग्रेस अपनी नहीं भाजपा की कलह और अपने ही प्रत्याशियों की जग हँसाई के कारण कुछेक और सीटें कांग्रेस अपने दामन में समेट सकने में  सक्षम हो गई है। 
हारे प्रत्याशी ने खोला खिलाफत का  मोर्चा 
 इतना ही नहीं अप्रत्यक्ष हरी झंडी मिलने के बाद मौजदा सागर विधायक शैलेंद्र  जैन,नरयावली प्रदीप लारिया,खुरई से सांसद  भूपेंद्र सिह  ने कमर कस ली है। जबकि पुत्रमोह और अति आत्मविश्वास  ने रहली में गोपाल भार्गव ने अपने प्रचार को गति नहीं दी है। हालांकि सांसद ने अपनी छवि को स्वयं संदिग्ध बनाने के बाद खुरई से चुनाव का बिगुल बजा दिया है,वैसे जैसे ही उन्होने अपने आप को यहाँ से दावेदार बताया तो भाजपा में निराशा छा गई थी और भाजपाइयों ने वर्तमान कांग्रेस  विधायक के साथ खड़े होने हद तक विरोध दर्ज कराया। अब आखिर वे कैसे सहमत है आगे चिंतन का विषय है फिर भी यह बताना जरूरी है कि पिछला विस चुनाव भी वे यहाँ से हार चुके हैं।

 इस बार तो उन्होने हद कर दी है सारी विस क्षेत्रों में अपने ही समर्थकों को झटका देने भी चूक नहीं की है। ऐसे में भाजपा की तीसरी पारी पर सांसद ने संकट के बादल अभी से खड़े कर दिये हैं। इसी प्रकार भाजश से जुड़े एक हारे प्रत्याशी ने सागर में खिलाफत का  मोर्चा खोल रखा है, हालांकि वे पर्दे के पीछे से यह सब कर रहे। फिर भी चुनाव आचार संहिता के लिहाज से बिना प्रकाशक मुद्रक के द्वारा जारी पंपलेटों पर प्रशासन चुप बैठा है। नरयावली विधायक पर भी इसी प्रकार प्रायोजित दुष्प्रचार किया फलस्वरूप वे सकते में आ गए। दोनों को ही ऊपर से हरी झंडी मिलने से विरोधी औंधे मुंह गिर पड़े हैं
लेकिन कोशिश करने वालों की कभी हर नहीं होती की तर्ज पर वे निराश नहीं हैं।
तीसरी पारी पर ग्रहण ?
इस प्रकार भाजपा पर जिले में हर के हालात पैदा करने वाले उन्हीं के दामन में बैठे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने   बिना प्रयास के आधी जंग जीत ली है। सांसद के सहयोग रूपी असहयोग से सबसे ज्यादा पीडि़त सुरखी विस के भाजपाई हैं यहाँ से अनेक दवादारों को उन्होने आश्वासन दिया,पिछला चुनाव हारे राजेंद्र सिंह को पूर्ण आश्वस्त किया। फलस्वरूप घोषणा के पहले ही रहतगढ़ से प्रचार शुरू कर दिया। अंतत: सुरखी को कांग्रेस  से मुक्त कराने के नाम किसी पारुल साहू को चुनावी समर में लडऩे उतार दिया है। एक तरफ देवरी विधायक भानु राणा का विरोध स्थानीयता की वजह से हो रहा है, लेकिन दूसरी ओर भूपेंद्र सिंह,पारुल साहू भी जिन क्षेत्रों से आश्वस्त किए हैं वे स्थानीय नहीं हैं। शायद इन दोहरे मानदंडों का परिणाम भी तीसरी पारी पर ग्रहण लगा सकता है।
दावेदार बमों में बारूद है खत्म
कांग्रेस अभी तक प्रत्याशियों के नामों से खेलने में  लगी है सागर से संतोष पांडे,स्वदेश जैन, सुशील तिवारी आदि,,देवरी से डॉ वीरेंद्र लोधी,रामजी दुबे,अनीता  मिश्रा आदि के नाम चर्चाओं में शुमार हैं। लेकिन इनमें से केवल सुशील तिवारी और लोधी समीकरण की वजह से डॉ वीरेंद्र में जीतने की संभावनाएं हैं। शेष दावेदार बमों में बारूद ही बहुत पहले खत्म हो चुका है,केवल चुनावी खर्च  उठाने के लिय कुछ नामों और सेठ परिवारों को जबरन लालच देकर वर्षों बाद उनको माँदों से बाहर निकला है। ऐसे में यह कागजी शेर कहाँ तक और कब तक कांग्रेस के साथ चलेंगे कहना मुश्किल है। मात्र नरयावली में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र चौधरी जीतने की क्षमता रखते हैं,उनके नाम पर करीब-करीब मुहर लग चुकी है। बीना,रहली में भी अच्छे प्रत्याशी का टोटा है। खुरई में मौजूदा विधायक अरुणोदय चौबे की सक्रियता और भूपेंद्र के विरोध ने कांग्रेस के कब्जे बरकरार रखनेमें  अपनी भूमिका बयां कर दी है।
कौन पार लगाएगा गोविंद की नैया ?
सुरखी के हालात अभी तक ठीक थे लेकिन पारुल साहू के नाम ने करीब-करीब गोविंद राजपूत के हैट्रिक  सपने पर लगाम लगा दी है। वैसे वे अपने आका की दम पर राहुल गांधी की सभा रहतगढ़ में कराने  में कामयाब हो चुके हैं।  फिर भी संकट गहरा गया है एक तरफ एक रुपए के  धन से चुनाव लड़ा जाएगा तो दूसरी ओर 500 रुपए के धन से अर्थात एक प्रतिशत और पाँच सौ प्रतिशत के मुक़ाबले पर जंग शुरू होना है। ऐसे में अर्जुन की नैया तो गोविंद ने महाभारत में पर करा दी थी लेकिन कलयुग में चुनावी महाभारत में  गोविंद की नैया कौन पार लगाएगा। यह यक्ष प्रश्न सुरखी विस में गूंजने लगा है। वैसे भी जिले की यह सीट इकलौती है जिस पर किसी भी दल ने कभी भी बाहरी प्रत्याशी का विरोध नहीं किया है,इसके अलावा कोई भी दल तीन  बार जीत दर्ज नहीं करा सका है।
कमजोरी के बाद भी प्लस में
इसी प्रकार रहली गोपाल भार्गव के पुत्र ने समीकरण बदलने में भूमिका  निभाई है, फलस्वरूप यहाँ के कांग्रेसी उत्साह में आते जा रहे हैं। इसके अलावा इक ओर प्ररिवारवाद का विरोध तो दूसरी ओर अपने परिवार चिंता ने उनके दोहरे चरित्र को उजागर कर दिया है। इस  वजह से भी जिन कांग्रेसियों के कारण पंडित भार्गव जीतते रहे हैं वे उनके खिलाफ एकजुट होने के मूड में आ चुके हैं। इन हालातों में उनका ऊंट किस करवट बैठ जाए कहना मुश्किल बंता जा रहा है। वैसे कांग्रेश के यहाँ   से एक हारे  प्रत्याशी ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। यहाँ का  अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग सहित कुर्मी समाज पीडि़त है,यह सब बातें इस बार विशेष रूप से विस क्षेत्र में चल रही हैं क्योंकि कांग्रेस जो प्रत्याशी हारा था उसके समाज के सर्वाधिक वोटर है। यदि अजा-जजा वास्तव में असंतुष्ट है है तो निश्चित ही कांग्रेस की जीतने राह आसान नजर आ रही है। देवरी से भानुराणा को टिकट नहीं मिला तो कमजोरी  के बाद भी कांग्रेस प्लस में जा सकती है।