सागर विधानसभा सीट
पर भाजपा कई नेता गड़ाए हैं नजरें
बौखलाहट में दर-दर
भटक रहे हैं उमा समर्थक
“’भाजश उमा समर्थक जब से उमा भारती को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था। तभी से भाजपा
से निष्ठाओं को तोड़कर जो नेता भाजश की शरण में पहुचे थे उन्हें भाजपा ने
आज भी अहमियत नहीं दी है। यही नहीं उमा भारती के कद को देखते हुए उन्हें तो अब राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान मिल चुका है। लेकिन उनसे जुड़े समर्थकों की आज भी शहर में कोई पूछपरख नहीं हो रही है। जिससे सागर के ऐसे नेताओं में बौखलाहट देखने मिल रही है। सबसे
ज्यादा पीड़ा के शिकर पिछली विधानसभा चुनाव में भाजश प्रत्याशी रहे मुकेश
जैनको उठाना पड़ रही है। वे पूर्व विधायक सुधा जैन वर्तमान विधायक शैलेन्द्र जैन, सांसद भूपेन्द्र सिंह सहित अपने पत्रकार साथियों की दम पर भाजपा में कोई भी पद हथियाने की जुगत में लगे हैं। फिर भी वे ऐसी सफलता के लिए
तरस रहे हैं। ‘’
सागर। भाजपा में जब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
ने कमान संभाली है। तभी से उमा भारती के समर्थको की पूछपरख बंद चल रही है। हालांकि कुछेक प्रदेश
स्तर के नेता जो मुख्यमंत्री की शरण में
पहुंच गए थे उन्हें कुछ न कुछ मिल चुका है। लेकिन विभिन्न जिलों में भाजश कार्यकर्ताओं को आज भी
स्थान नहीं मिल पा रहा है। जिससे जिला स्तरीय नेताओं के कंठ अब सूखने लगे हैं। ऐसे
नेताओं में उमा भारती के नाम का दम भरने वाले सागर विधानसभा से हारे हुए
प्रत्याशी मुकेश जैन ढाना का कंठ अत्याधिक
प्यासा हो चुका है। यही वजह है कि वे भाजपा के नेताओं से अपनी नज़दीकियाँ बढ़ाने में लगे हुए हैं। साथ ही आरएसएस को भी अपनी सेवाओं से प्रभावित करने के गुणाभाग में लगे हुए हैं। इसके अलावा उनके
फिलहाल तीन रूप हैं। एक पत्रकार, दूसरे नेता और तीसरे ठेकेदार। इसलिए वे
इन क्षेत्रों से जुड़े हुए संगी साथियों का उपयोग ऽरने से भी नहीं चूऽ रहे हैं।
गौरतलब है कि जब भाजपा की जिला कार्यकारिणी घोषित हो रही थी तब प्रायोजित
तरीके से मुकेश जैन ढाना का नाम उछाला जा रहा था। फिर भी एन वक्त पर सांसद
भूपेन्द्र सिंह ने उनके लिए किसी भी प्रकार
के प्रयास नहीं किए। जबकि मीडिया के माध्यम से सांसद के रूझान को मुकेश जैन के पक्ष में बताया जा रहा था। अब यह अवसर तो वे चूक
गए। इसलिए उन्होंने फिर विधायक शैलेन्द्र जैन की शरण में जाना उचित समझा। हालांकि
अभी भी गाड़ी पटरी पर ठीक ढंग से नहीं दौड़
पा रही है। वैसे राजनैतिक सूत्रों के अनुसार शैलेन्द्र जैन जैनवाद के नाम पर सांठगांठ का दौर चल रहा है। फिर भी यह उम्मीद मुकेश जैन ढाना
के लिए निरर्थक साबित होगी। कारण है कि यह उमा भारती की पार्टी भाजश को मजबूत करने के लिए शैलेन्द्र जैन के खिलाफ ही विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसलिए ऐसी
संभावना बिलकुल नहीं है कि विधायक इस बात को भूलकर भाजश नेताको कोई पद दिलाएंगे।
पिछले दिनों प्रदेश से मीडिया
प्रकोष्ठ से जुड़े प्रभात झा से भी श्रद्धांजलि सभा में मुकेश जैन ढाना ने कुछ
प्रयास किए थे। साथ ही प्रभात झा ने भी ऐसी टिप्पणी की थी जिससे वे गदगद हो गए थे।
लेकिन उनके कहने में कोई भी गंभीरता नहीं
थी। जिसे भी ढाना नहीं समझ सके । ऐसी चर्चा है कि प्रभात झा की इन दिनों सागर में केवल एक मात्र खास महिला नेता है। जिन पर प्रभात झा का वरदहस्त
है। वे महिला नेता श्वेता जैन हैं यही वजह है कि सागर प्रवास के दौरान प्रभात झा से मिलने जहां दूसरे नेता स्वयं
पहुंचे थे वहीं प्रभात झा श्वेता जैन के घर पहुंचकर मिले थे। यह संदेश स्पष्ट होने के बाद भी ढाना जैसे नेता प्रभात झा से भी उम्मीद
लगाए बैठे हैं। जबकि उमा भारती वर्तमान
में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं। वे स्वयं सक्षम भी हैं कि अपने
समर्थको को पार्टी में उचित स्थान दिला सके
। लेकिन उमा भारती से जुड़े सूत्रोंकी माने तो ढाना की छटपटाहट ने ही उनका खेल बिगाड़कर रखा है। लंबे अर्से से पूछ परख नहीं
होने की वजह से वे उमा भारती का विश्वास
खो चुके हैं। इस कारण वे भले ही उमा भारती
के लिए अपना समर्पण भाव दिखा रहे हैं लेकिन
वास्तव में जिले के अन्य नेताओं के मंचों पर जा जा कर अपने लिए एक पद की भीख सी मांगने में लगे हैं। यह सब खबरे भी
उमा भारती के कानों तक पहुंच रही हैं। जिससे वे अपने प्रिय रहे समर्थक
को तबज्जो नहीं दे रही हैं।
गौरतलब है कि जिन पूर्व
विधायक सुधा जैन और मुकेश जैन के बीच कभी छत्तीस का आंकड़ा रहा है वे भी जैनवाद के
नाम पर उन्हें अपना समर्थन दे रही हैं। यह
परिदृश्य भी आश्चर्यजनक है। लेकिन सुधा
जैन अपने टिकट काटने वाले से बदला लेने के मूड में है। इसलिए वे ढाना को ढाल बना रही हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में
विधायक निधि सहित अन्य छोटे छोटे कामों के
लिए भी नगदीकरण की परंपरा बढ़ाई थी। शायद
यही कारण भी था कि उमा भारती सुधा जैन के नाम से अत्याधिक चिढ़ती थीं। लेकिन विकल्प नहीं मिलने पर उन्होंने
भी सुधा जैन को ही प्रत्याशी बनाया था। वैसे
भी सागर विधानसभा क्षेत्र से मंत्री पद की चाह में सांसद भी चुनाव लडऩे की मंशा
रखते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो सभी के बदले लेने के लिए केवल सांसद ही काफी हैं। लेकिन ये नेता शायद
इतने समझदार नहीं है कि जब एक नेता पहले
से ही सभी के गुणा-भाग असफल करने के लिए तैयार बैठा है तो फिर एक दूसरे के लिए किस बात के लिए उपयोग हो रहे हैं।
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