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Sunday, July 7, 2013

पुलिस-प्रशासन की अनदेखी

एफआईआर का चल रहा है तमाशा

चार मासूमों को नहीं मिला न्याय

मनोज शुक्ला
सागर। सागर जिले में जब से राज मार्ग और राजी मार्गों के निर्माण का सिलसिला चल रहा है। तभी से हादसों का भी सिलसिला नहीं थम रहा है। जिन हादसों में भाजपा के नेताओं की रुचि रहती है, उनमें वे नियमों के खिलाफ जाकर एफ आई आर दर्ज करवा लेते है।लेकिन आम जनता से जुड़े मामलों में ऐसा नहीं करते है। पिछले दिनों जब एनएच पर सड़क दुर्घटना हुई तो भाजपा नेताओं ने संबन्धित अधिकारी पर एफ आई आर दर्ज करवा दी। बहेरिय पुलिस ने मामले को जांच में ले लिया है। जबकि यह पूरा मामला जिला प्रशासन की लापरवाही का है फोरलेन सड़क के मापदण्डों का पालन करने में वे चूक रहे हैं। इसलिए बछलोन वाले मामले में बाली का बकरा अधिकारी को बनवा दिया है।   अब ग्राम महुआखेड़ा और हिन्नोंद में पंचायत,वन विभाग,जिला प्रशासन की बिना अनुमति के राज्य मार्ग की निर्माण एजेंसी ने अपने स्वार्थ मुरम  के कारण तालाब गहरीकरण कर दिया। तब उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यही नहीं यहाँ पर चार मासूम अपने प्राण गवां चुके  हैं। उनके परिजनों ने तालाब खुदवाने  वालों के  खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की मांग की है फिर भी महुआखेड़ा  9 वर्ष विकास,8 वर्ष अनिल,10वर्ष प्रसन्न,9वर्ष अजय को अपनी जान गवाने के बाद भी न्याय नहीं मिला है।
               पुलिस भी अभी तक परिजनों को राहत नहीं दे पाई है। जबकि हर सप्ताह जनसुनवाई होती है फिर भी पुलिस करती कुछ नहीं है। इसी प्रकार पुलिस तरह –तरह के बहाने करके आरोपियों को छोड़ देती है। कुछ अर्से पहले गोपालगंज थाना क्षेत्र में दुर्घटना हुई थी। थाना प्रभारी कहते हैं कि यदि इंटरनेट होता तो फर्जी ड्राइविंग लाइसेन्स का पता चल जाता फिर वे जमानत नहीं देते। लेकिन पहले यह सुविधा होती नहीं थी  तब  ऐसे ही फर्जी लोगों को छोड़ दिया जाता होगा। सीहोर में अन्त्योदय मेला कूलर से  करेंट लाग्ने की वजह से मौत हो गई थी,तब भी संसद और भाजपा नेताओं के दवाब में टेंट वाले पर एफ आई आर दर्ज कराई गई है। जबकि यह मेला रेगुलर और स्पेशल शिविर में शामिल नहीं था इसलिए मेला के आयोजक और मुख्यमंत्री दोनों ही दोषी हैं। दूसरी ओर जब अटल ज्योति अभियान का सागर में शुभारंभ करके मुख्यमंत्री समापन समारोह में पहुंचे तो वहाँ पर टेंट ही गिर गया। जहां पर लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। यहाँ पर भी एफ आई  आर नहीं की गई।

                आखिर यह कैसा इंसाफ है शिवराज का जो समझ से परे है। यहीं जहां भाजपा के नेताओं,जिला प्रशासन और स्वयं मुख्यमंत्री को एफ आई आर दर्ज कराना चाहिए वहाँ पर नहीं की जा रही है। सागर जिले मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के बुरे हल हैं,तीन महीने केवल तीन प्रकरण अंजाम तक पहुंचे हैं। फिर भी लीड बैंक प्रबन्धक हाथ –पर हाथ धरे बैठे है वे बैंको से कुछ भी करा पाने में अपने आपको असमर्थ पाते है। जिला प्रशासन भी केवल इनके साथ औपचारिक बैठक करके अपनी इतिश्री कर लेता है। इस प्रकार जिला भगवान भरोसे चल रहा है,नेता मंचों पर अपने साथ प्रशासनिक अधिकारियों को अतिथि बना रहे हैं इसलिए वे बेलगाम हो गए हैं। 

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