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Thursday, August 4, 2011

Andekhee


ग्रीन कार्ड के लिए चक्कर काट रहे हितग्राही
सागर। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नसबंदी का लक्ष्य पूरा करने के लिए अभियान तो चलाया जा रहा है मगर इसका लाभ विभाग को ही मिल रहा है। नसबंदी के दौरान बनने वाले पात्र हितग्राहियों के ग्रीन कार्ड उन्हें नसीब नहीं हो रहे हैं। ग्रीनकार्ड के लिए प्रतिदिन हितग्राही विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
 प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष २०१०-११ में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में लगभग २० हजार महिला पुरुषों के नसबंदी आपरेशन किए गए थे। नसबंदी के दौरान प्रत्येक हितग्राही को शासन द्वारा दी जाने वाली राशि व अन्य सामग्री तो मिलती है मगर शासन द्वारा पात्र हितग्राही को ग्रीन कार्ड आसानी से नहीं मिल पाते। शासन द्वारा दो बच्चों के बाद आपरेशन करने वाले दम्पति को ग्रीन कार्ड दिया जाता है। ग्रीन कार्ड धारक हितग्राही के बच्चे को फीस में कटौती जैसे कई लाभ प्राप्त होते हैं। यहां तक कि लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ ग्रीन कार्ड के बाद ही हितग्राही को मिल पाता है। क्योंकि दो बच्चों के बाद ही इस योजना के लिए हितग्राही पात्र माना जाता है।
ग्रीन कार्ड धारी शासकीय कर्मचारियों को वेतन वृद्धि भी दी जाती है। इन शासकीय कर्मचारियों को एक बच्चे पर दो इंक्रीमेन्ट और दो बच्चों पर एक वेतन वृद्धि मिलती है। तहसील स्तर पर आपरेशन शिविरों के बाद बीएमओ और सीएचएमओ द्वारा इस कार्ड को जारी किया जाता है। जिले में राहतगढ़, शाहगढ़, शाहपुर, बंडा, बीना, खुरई, मालथौन, देवरी, केसली व अन्य तहसील मुख्यालयों से इन कार्डों की प्रक्रिया शुरु होती है।
 वहीं मान्यता प्राप्त नर्सिंग होम्स में आपरेशन कराने वाले हितग्राहियों को भी कार्ड जारी किए जाते हैं। ग्रीन कार्ड बनवाने के लिए प्रतिदिन दर्जनों हितग्राही मुख्यालय स्थित कार्यालय में आते हैं मगर मुख्यालय के कर्मियों द्वारा उन्हें ग्रीन कार्ड न होने का बहाना बनाकर भगा दिया जाता है। जो हितग्राही थोड़ा बहुत खर्च करने को तैयार रहते हैं या फिर जिनकी पहुंच वरिष्ठ व अधिकारियों तक होती है उनके ग्रीन कार्ड शीघ्र ही जारी कर दिए जाते हैं। कई हितग्राही तो ऐसे हैं जो महीनों से ग्रीन कार्ड बनवाने के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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