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Thursday, August 4, 2011

Yeh Kaisa Vikas...


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lkxjAआजादी के ६४ साल बाद भी जिले के ८९ गांव अभी भी रोशनी की एक किरण की बाट जोह रहs है। आधुनिक भारत में बुंदेलखंड के इन गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची। बिजली नहीं होने के कारण यह गांव शिक्षा और विकास से कोसों दूर हैं। बारिश में अनाज पिसवाने के लिए इन ग्रामीणों को पैदल चलकर दूसरे गांवों में जाना पड़ता है। इन गांवों में अभी तक न तो बिजली पहुंची है और ना ही रोशनी के लिए अन्य विकल्प मौजूद हैं। जिले में बिजली रहित ग्रामों में बीना ब्लाक के दो खुरई के नौ मालथौन के नौ बंडा के १६ देवरी के १५ केसली के १३शाहगढ़ के नौ राहतगढ़ के चार जैसीनगर के एक रहली सात एवं सागर ब्लाक के चार गांव शामिल हैं। सागर ब्लाक के तिगरा मझगुवां ग्रंट महरोनिया मुहला मसबांसी ग्रंट में अभी भी बिजली नहीं पहुंची है। सागर शहर के कई वार्डों की कई कालोनियों में भी बिजली नहीं पहुंची है।जिले में नौरादेही अभ्यारण्य और अन्य वन परिक्षेत्रों में लगभग ३६ गांव मौजूद हैं। इन गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। बिजली विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन वन ग्रामों में बिजली पहुंचाने के लिए वन विभाग से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है और वन विभाग अनुमति देने में आनाकानी करता है। वहीं वन विभाग के अनुसार सुरक्षित वनों में बिजली लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे वनों की सुरक्षा को खतरा  हो जाता है।जिन वन ग्रामों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है उन ग्रामों को सौर ऊर्जा से रोशन किया जाएगा। इन ग्रामों में विद्युतीकरण करने के लिए सौर ऊर्जा विकास निगम सहयोग कर रहा है। इसके तहत कुछ गांवों के लिए सौर उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। जिले में कई गांव ऐसे भी हैं जिनमें बिजली के लिए खंबे तो गढ़ा दिए गए पर सालों बीत जाने के बाद भी उनपर तार नहीं लगाए गए हैं। बिना तार के यह vklमान की ओर ताक रहे हैं।नौरादेही अभयारण्य में स्थित पीपला ग्राम के इसराज ग्वालिया ने बताया कि बिजली नहीं होने के कारण बच्चों को पढ़ाई में परेशानी आती है। संचार के साधन नहीं होने के कारण गांव के बच्चे देश-दुनिया की जानकारी से महरूम हो जाते हैं। इस कारण उनका मानसिक विकास भी ठीक से नहीं हो पाता है। घासलेट आसानी से नहीं मिलने के कारण अधिकांश रातें अंधेरे में ही बिताना पड़ती हैं।

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