कला पारखियों का नहीं
है
वास्ता आदर्श से
मनोज शुक्ला
सागर। ललित कला मण्डल
द्वारा संचालित आदर्श संगीत महाविद्यालय में खुलासा हुआ है कि यहाँ पदस्थ प्रभारी
प्राचार्य सुनील भट्ट दागदार छबि के हैं। फिर भी मण्डल अध्यक्ष कि कृपा के वे लंबे
अरसे से इस पद पर बने थे। लेकिन अध्यक्ष पर जब
संरक्षणके आरोप लगने लगे तो हाल ही में उन्हें पद से हटा दिया। इस
घटना से उजागर होता है कि कला पारखियों का आदर्श से वास्ता नहीं है।
गौरतलब है कि प्रभारी प्राचार्य पर
लोकयुक्त में मामला विचाराधीन है। फिर भी जानकर मण्डल ने पद लायक
बनाकर रखा था। वैसे भी यहाँ पर नकली टाइप
के कला प्रेमी कालेज चला रहे हैं। एक अत्यधिक व्यस्त डॉ एक कभी कुत्ते पालने का
शौकीन रहा एक एसी महिला जो अपने नाम को जिंदा रखने हरेक संस्था से जुडने में गर्व
महसूस करती हैं। जबकि यहाँ पर शुरुआत के दिनों में वास्तविक कला प्रेमी जुड़े थे।
फलस्वरूप कुमार गंधर्व जैसी हस्ती ने आधारशिला रखी थी।लेकिन धीरे
धीरे इसे हथियाने की साजिश रची गई। जिससे असली पारखी दूर हो गए,यही
कारण है कि आज भी भवन पूरा नहीं हो सका है। परिसर की कोई सुरक्षा
नहीं है,दूसरी ओर यहाँ की बुनियाद हिलाकर अपनी बुनियाद मजबूत करने में जुट गए हैं।
वैसे यहाँ पर कवि अशोक वाजपई की कृपा दृष्टि रही है। लेकिन उन्हें भी कोई सिला नहीं मिला।
कालेज के सूत्रों का कहना है कि शिक्षकों को आज भी समय और शासन मापदण्डों के
अनुरूप नहीं दिया जा रहा है। दूसरी ओर स्वयं के संस्थान,बेटे,बेटी को नामचीन कलाकार बनाने में तन्मयता से जुटे हैं। लेकिन यहाँ के विद्यार्थियों को नाम और नया मुकाम दिलाने की दिशा में पहल नहीं होती है। यहाँ तो केवल शोषण को तबब्जों मिलती है
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