जड़ से मिटाने का
प्रयास करें अत्याचार को

साथ ही धारा 376 ता.हि. में आवश्यक परिवर्तन कर बलात्कारियों को कम
से कम समय में न्यायिक जाँच पूरी कर दुष्कर्मियों को फाँसी की सजा मिला चाहिए। फिर
भी अनेक शहरों में सामूहिक बलात्कार की घटना की खबरें निरंतर आ रही है। यह कहना है
वकील अनिल चन्द्र मैत्रा का उनका कहना है कि नारी उत्पीड़न की समस्रूा को इस देश की
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर गंभीरता से विचार करना होगा।
स्त्रियों पर अत्याचार खत्म करने हेतु
देश की संसद ने अनेक कानून पारित किये हैं। धारा 498 में संशोधन कर, धारा 498ए,धारा 306,धारा 113,साक्ष्य
अधिनियम में संशोधन,दहेज उन्मूलन एक्त,घरेलू
उत्पीड़न निवारण अधिनियम,आदि कानून पारित हो जाने के बाद भी
स्त्रियों पर अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।
एक सर्वे के अनुसार प्रत्येक दो घंटे में देश में सामूहिक बलात्कार या
दुष्कर्म की घटना हो रही है। अतएव सिर्फ कानून पारित करने से स्त्रियों पर अत्याचार-बलात्कार
आदि की घटनायें खत्म नहीं होंगी। हमारे देश में स्त्रियों पर अत्याचार करने की जड़े
बहुत गहरी हैं। वे एक घटना का जिक्र करते है।
द्रोपदी, को निर्वस्त्र कर बेआबरू किया,उस सभा में भीष्म
पितामह, धृतराष्ट्र, गुरू द्रोणाचार्य,युधिष्ठिर,अर्जुन, भीम सभी
मौजूद थे। इनमें से किसी ने भी द्रोपदी पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए आवाज
नहीं उठाई,।इसलिए मानसिकता बदलने संवेदनशील नागरिक, विशेषकर
युवा वर्ग को वे सुझाव देते है कि स्त्रियों
को अपना जीवन साथी बनाएँ, न मैं दहेज लूँगा और न खुद दूँगा
या न मेरे माता-पिता देंगे,धारा 376
में आवश्यक संशोधन करें, ऐसे प्रकरणों का विचारण ट्रायल
फास्ट ट्रेक कोर्ट में ही किया जाए ,अत्याचार व दुष्कर्म के
पूरे विचारण, कैमरा ट्राइल से होवें, यदि
शराबबंदी पूरे देश में सख्ती से की जा सके, तो स्त्रियों पर
चल रहे 60 प्रतिशत से भी अधिक अत्याचार अपने आप खत्म हो
जायेंगे।
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