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Monday, January 7, 2013

संवेदना


संवेदना प्रकट की बापू ने


दिल्ली।16 दिसंबर की रात दिल्ली  में चलती बस में सामुहिक दुष्कर्म की शिकार हुई लड़की श्दामिनीश् के दुरूखद निधन पर संत आसाराम बापू ने कहा यह समाज के लिये अत्यंत दुरूखद घटना हैद्य हमे उसके और उसके परिवार के प्रति सदभाव हैद्य समाज मे ऐसी घटना बडे दुख की बात हैद्यइस हेतू उचित प्रयास होना चाहियेएभगवान उनके परिवार को इस दुखद घटना को सहने की शक्ति सामर्थ देद्यबापू ने कहाएकि पीडिता के परिवार जन वे खुद को अकेला न समझें। जो बेटी मरी है वह उनके घर में अकेली कमाने वाली थी। अब दिक्कतें आ सकती हैं। उसके घर वाले मुझे ही अपना बेटा मान लें।उन्होने कहा कि जिस व्यक्ती को फासी दी जाती है उसकी पत्नीएमाँएबहन जीते जी मर जाते हैद्य द्रोपदी का उदाहरण देते हुये कहा कि अपने पुत्र की हत्या करने वाले अश्वस्थामा को जब द्रोपदी के सामने लाया गया और उसका सर काटकर द्रोपदी के चरणो मे रखने की बात की गयीएतब द्रोपदी ने उसे माफ कर यही आदर्श उपस्थित कियाद्यअपने पुत्र ही हत्या करने वाले को जीवन दान दे दियाद्ययह भारतीय संस्कृति हैएकडे कानून बनाने की बजाय लोगो का नैतिक उत्थान कर उन्हे चारित्रिक रूप से इतना सबल बनाया जाये कि वे ऐसे कृत्य करे ही नही बापू ने कहा कि उसने अगर सरस्वत्य मंत्र की दीक्षा ली होती तो ऐसा नही होता और उन दुष्कर्मियो मे एक भी मेरा सत्संग होता तो ऐसा नही होता क्योकि सत्संगी हर एक स्त्री को मांएबहन की नजर से देखता है,वह उसे बचा लेता।      

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