ज्ञान की पराकाष्ठा के लिए आवश्यक
है जिज्ञासा
सागर। ‘‘वर्तमान हिन्दी की दशा और दिशा ’’ विषय पर मुख्य अतिथि की
आसंदी से सागर जिलाधीश योगेन्द्र शर्मा ने स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर
में कहा ‘‘साहित्य का सृजन होना चाहिए और ऐसा जो सर्वत्र ग्राहृय हो ’’ भाषा सरल हो जो जन - जन तक पहुॅच जाए।
उन्होंने कहा कि ज्ञान के लिए जिज्ञासा पूर्ण दृष्टि ही संजय जैसा ज्ञान दे सकती
है। मुख्य वक्ता डॉ. सुरेश आचार्य ने कहा हिन्दी में समन्वय क्षमता इतनी अधिक है कि वह सभी भाषा को अपने अन्दर आत्मसात
कर लेती है। उसके लिए अधिक चिन्ता का विषय नहीं क्योंकि उसकी दशा उत्कृष्ट है और
दिशा तो पूर्व से ही सर्वोत्कृष्ट थी। हिन्दी पूर्णतः वैज्ञानिक शैली में है। अध्यक्षता कर रहे
कुलाधिपति डॉ अजय तिवारी ने कहा डॉ.
राधाकृष्णन एवं अटल विहारी वाजपेयी ने
संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना वक्तत्व हिन्दी भाषा में दिया, हमारी भाषा विश्व में
पांचवें स्थन पर है। डॉ. अनिल तिवारी कुलपति स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय ने
कहा देश को संवेगात्मकता प्रदान करने का सशक्त सूत्र अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का
प्रयोग है। राष्ट्र की उन्नति राष्ट्रभाषा के माध्यम से संभव है। यह सत्य है कि
अंग्रेजी के कुछ तकनीकी शब्द को हमें लेना पड़ता है पर वहॉ अंग्रेजी खिड़की के समान
है हमें उसे अपना घर नहीं मान लेना चाहिए। राष्ट्रभाषा का सम्मान सर्वाेपरि है
क्योंकि हिन्दी संस्कृत की ज्येष्ठ पुत्री है। अन्त में डॉ. प्रमेश गौतम ने उपस्थित समस्त अतिथियों
शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को कार्यक्रम में उपस्थित होकार अपने बहुमूल्य समय को
हमारे साथ कार्यक्रम की सहभागिता हेतु धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार प्रदर्शित
किया । कार्यक्रम में डॉ. मनीष मिश्र, डॉ. बी.व्ही. तिवारी, डॉ. सचिन तिवारी, डॉ. ममता सिंह, डॉ. सुनीता दीक्षित, डॉ. नीरज तोपखाने, , आर. एस. पाण्डेय , पी. के. दत्ता आदि की
सहभागिता रही।
हमें अपने आत्मबल को पहचानना होगा
सागर।स्वामी विवेकानंद के 150वीं जयंती वर्ष पर आर्ट्स एण्ड कामर्स कॉलेज
परिसर में परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें आधुनिक भारत में विद्यमान चुनौतिओें
एवं युवाओं की भूमिका विषय पर व्याख्यान माला आयोजित की गई। विषय विषेषज्ञ आनंद
स्वरूप शुक्ल ने स्वामी विवेकानंद के जीवन
पर प्रकाष डाला। इस अवसर पर विधायक शैलेन्द्र जैन के कहा कि स्वामी विवेकानंद का
जीवन दर्षन पर चर्चा करते हुए वर्तमान चुनौतियों पर हमारे युवाओं की धारणा क्या है, हमें इस पर विचार करना होगा। धर्म संसद के
माध्यम से लोग अपने-अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ दिखाना चाहते थे। परन्तु अब स्वामी
जी का अवसर आया तो उन्होने अपने संबोधन की शुरूआत भाइयों और बहिनों से की गई। तब
लगातार 2 मिनिट तक लोग खड़े होकर ताली बजाने लगे। यही
हमारी मौलिकता का प्रमाण है उनका संबोधन ही हमारी संस्कृति और राष्ट्र की पहचान
है। इस अवसर पर प्राचार्य,ं महाविद्यलाय स्टाफ के साथ ही बढ़ी संख्या में
छात्र-छात्राएॅं उपस्थित थे।
अतिरिक्त कक्षों का लोकार्पण
सागर। काकागंवार्ड सागर में शास.बालक शाला में
निर्मित कराये गये 5 अतिरिक्त कक्षों का लोकार्पण विधायक
शैलेन्द्र जैन ने किया। इस अवसर पर विकास तिवारी, प्रदीप यादव,
खड़ग सिह, षिक्षक एवं छात्र एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित
थे।
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